2 जुलाई 2015 करेण्ट अफेयर्स
30 जून 2015 को कौन सा देश विकसित देशों की जमात का पहला ऐसा बना जो अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से प्राप्त ऋण की अदायगी नहीं कर पाया? – यूनान (Greece)
विस्तार: जैसी की पहले आशंकाएं जतायी जा रही थीं, यूनान 30 जून 2015 को IMF को 1.6 अरब यूरो का भुगतान नहीं कर पाया, जोकि कोष के इतिहास का सबसे बड़ा चूक-भुगतान (payment default) है। 30 जून ही यूनान द्वारा किए जाने वाले भुगतान की समयसीमा थी। हालांकि, यूनान ने इस भुगतान की समस्या से बचने के लिए काफी कोशिशें अंतिम दिन की लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया। उल्लेखनीय है कि यूनान ने अपनी आर्थिक दुश्वारियों के हल के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) तथा यूरोपीय संघ (EU) से वर्ष 2010 से 240 अरब यूरो के बेल-आउट पैकेज हासिल किए हैं। इस धन से यूनान किसी प्रकार से अपनी अर्थव्यवस्था को डूबने से बचाने में तो सफल रहा लेकिन इस ऋण की भारी कीमत उसे चुकाने पड़ी है तथा देश में किफायत सम्बन्धी तमाम उपायों को ताक पर रखना पड़ा है। पेंशन, वेतन तथा सार्वजनिक व्यय पर नियंत्रण न रख पाने के कारण देश की स्थिति और खराब हो गई है। भुगतान में इस चूक के चलते अब यूनान और यूरोपीय संघ दोनों के लिए समस्याएं बढ़ गई हैं। वहीं यूनान में 5 जुलाई 2015 को जनमत-संग्रह (Referendum) भी आयोजित होना है जिसमें यूरोपीय संघ से देश को बाहर करने के सम्बन्ध में देशवासियों की राय ली जायेगी।
30 जून 2015 को कौन सा देश विकसित देशों की जमात का पहला ऐसा बना जो अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से प्राप्त ऋण की अदायगी नहीं कर पाया? – यूनान (Greece)
विस्तार: जैसी की पहले आशंकाएं जतायी जा रही थीं, यूनान 30 जून 2015 को IMF को 1.6 अरब यूरो का भुगतान नहीं कर पाया, जोकि कोष के इतिहास का सबसे बड़ा चूक-भुगतान (payment default) है। 30 जून ही यूनान द्वारा किए जाने वाले भुगतान की समयसीमा थी। हालांकि, यूनान ने इस भुगतान की समस्या से बचने के लिए काफी कोशिशें अंतिम दिन की लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया। उल्लेखनीय है कि यूनान ने अपनी आर्थिक दुश्वारियों के हल के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) तथा यूरोपीय संघ (EU) से वर्ष 2010 से 240 अरब यूरो के बेल-आउट पैकेज हासिल किए हैं। इस धन से यूनान किसी प्रकार से अपनी अर्थव्यवस्था को डूबने से बचाने में तो सफल रहा लेकिन इस ऋण की भारी कीमत उसे चुकाने पड़ी है तथा देश में किफायत सम्बन्धी तमाम उपायों को ताक पर रखना पड़ा है। पेंशन, वेतन तथा सार्वजनिक व्यय पर नियंत्रण न रख पाने के कारण देश की स्थिति और खराब हो गई है। भुगतान में इस चूक के चलते अब यूनान और यूरोपीय संघ दोनों के लिए समस्याएं बढ़ गई हैं। वहीं यूनान में 5 जुलाई 2015 को जनमत-संग्रह (Referendum) भी आयोजित होना है जिसमें यूरोपीय संघ से देश को बाहर करने के सम्बन्ध में देशवासियों की राय ली जायेगी।