Sunday 23 September 2018

गणेश जी की रोचक जानकारी थोड़े विस्तार से

वैसे तो गणेश जी को लोग बहुतो नाम से जानते हैं, जिसका वर्णन तक़रीबन १०८ नामो के साथ आपको हर जगह मिल जायेगा। लेकिन ऐसे पांच नाम जो हर लोगो की जुबा पे होता हैं. ऐसे पांच नाम जो हर पूजा को सफल बनता हैं.



ऐसे पांच नाम जो हर यज्ञ को सिद्धि देता हैं, आज हम आपको वही पांच नाम बताने जा रहे हैं.

वक्रतुण्ड
गजानन
एकदन्त
विघ्न-नाश
विनायक




क्यू श्री गणेश का सिर हाथी का है?

कहा जाता हैं की एक बार बागवान शिव अपने भूतो के साथ हिमालय विचरण को निकले, इसी बिच माता पार्वती सनान करने की सोची और कोई अंदर न आये इस लिए उन्होंने अपने सरीर के लेप से एक प्रतिमा बनाई और द्वार पे पहरेदार के रूप में उस प्रतिमा में जान डाल दी. वो प्रतिमा का बालक द्वार पे पहरा देने लगा

इसी बिच भगवन शिव वापस आये लेकिन उस लड़के ने उन्हें अंदर जाने से रोका। शिव जी क्रोध में आ कर उस बालक का सर काट दिया। स्नान से लौटकर पार्वती ने इस दृश्य को देखा. शिव जी को सारा वृत्तांत सुनाकर कहा, 'आपने यह क्या कर डाला? यह तो हमारा पुत्र है.' शिव जी दुखी हुए. भूतगणों को बुलाकर आदेश दिया कि कोई भी प्राणी उत्तर दिशा में सिर रखकर सोता हो, तो उसका सिर काटकर ले आओ. भूतगणों को काफी देर बाद एक हाथी का बच्चा मिला जो उसी मुद्रा में था भूतगण उसका सिर काटकर ले आए. शिव जी ने उस बालक के धड़ पर हाथी का सिर चिपकाकर उसमें प्राण फूंक दिए. तवसे वह बालक 'गजवदन' नाम से लोकप्रिय हुआ.




क्यू होती हैं श्री गणेश की पूजा सबसे पहले हर मंगल कार्य में हर अनुष्ठान में?

कहा जाता हैं देवो के मध्य इस बात पे बहस हो गयी की - कौन सबसे पहले पूजा जाना चाहिए? इस गुथी को सुलझाने के लिए भगवन शिव ने एक प्रतियोगिता रखी, जिसके अनुसार जो सबसे पहले समस्त  बरम्हंड की चक्कर लगाएंगे वही प्रथम पूजे जायेंगे
सभी देवो को बरम्हंड जाते देख, श्री गणेश ने अपनी सूझ बुझ से अपने पास बैठे माता पिता की परिकर्मा क्र लिए. ये पूछे जाने पर की ये क्या क्र रहे हैं ? श्री गणेश ने जबाब दिया मेरे लिए मेरे समस्त जग पूरा बरम्हंड मेरे माता पिता हैं अपितु मैंने इनका ही चक्कर लगाना सही समझा। और इस तरह से भगवन शिव ने श्री गणेश की पूजन प्रथम होने की बात बताई.

कौन सा वो मंत्र हैं जो श्री गणेश के लिए हर पूजन में प्रथम जपा जाता हैं?

गणेश मंत्र

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥

हर पूजन से पूर्व हम इस गणेश मंत्र का जप कर कहते हैं - हे गज (हाथी) के सामान विशालकाय, रवि(सूर्य) के सहस्त्र(हजारो) किरणों तेज के सामान, मेरे देव (प्रभु) गणेश, बिना किसी बिघ्ना (बाधा) के मेरा कार्य पूर्ण हो और सदा मेरे लिए शुभ हो  ऐसी मैं कामना करता/करती हूँ.