Saturday, 18 August 2018

स्वर्गीय श्री अटल बिहारी बाजपेई जी के बारे में विस्तार से

अटल बिहारी वाजपेई जी के बारे में संक्षेप में

  • अटल बिहारी वाजपेयी
  • 25 दिसम्बर 1924, बृहस्पतिवार
  • 16 अगस्त 2018, बृहस्पतिवार
  • ग्वालियर, मध्यप्रदेश
  • कृष्णा देवी
  • कृष्णा बिहारी वाजपेयी
  • नहीं हुआ
  • भारतीय जनता पार्टी
  • 1992 में पद्म विभूषण, 1993 में डी.लिट (डॉक्टरेट इन लिटरेचर - कानपूर यूनिवर्सिटी), 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार, 1994 में बेस्ट संसद व्यक्ति का पुरस्कार, 1994 में भारत रत्न पंडित गोविन्द वल्लभ पन्त अवार्ड, 2015 में भारत रत्न और 2015 में लिबरेशन वॉर अवार्ड (बांग्लादेश मुक्तिजुद्धो संमनोना)


स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई जी के बारे में विस्तार से


बहुमुखी प्रतिभा की धनी श्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई जी का जन्म मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था

 प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद हुए ग्वालियर विक्टोरिया कॉलेज जो वर्तमान में लक्ष्मीबाई कॉलेज है इसे हिंदी इंग्लिश और संस्कृत में उच्च शिक्षा प्राप्त की तथा डिस्टिंक्शन से पास हुए
कॉलेज के समय से राजनीति के प्रति उनकी रूचि तीव्र थी और उन्होंने पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया कॉलेज के समय से ही वह राजनीतिक कामों में सक्रिय हो गए थे आर्य कुमार सभा से उन्होंने अपना राजनीतिक सफर शुरू किया, 1944 में वे आर्य समाज सभा के जनरल सेक्रेटरी भी बने और उन्हें युवा शक्ति माना जाता था

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मैं उनकी अभिरुचि 1939 से ही दिख रही थी और 1947 में वह RSS के फुल टाइम वर्कर बन गए थे

वाजपेई जी के पिताजी अपने गांव के एक महान कवि और स्कूल मास्टर थे घरेलू परवरिश की वजह से अटल बिहारी बाजपेई भी कविताओं में रुचि रखने लगे थे और उनकी बोलने की शैली का तो क्या कहना.

पिता की वजह से 1957 से उनकी राजनीतिक कैरियर और भी ऊंचाइयों को छूने लगी थी जब वह पहली बार भारतीय सांसद बने कहा जाता है जब वह बोलना शुरू कर देते तो सभी मंत्र मुक्त होकर उनकी बातों को सुना करते थे पंडित जवाहरलाल नेहरु जी उन के भाषणों के कायल थे

वाजपेई जी अब तक पूरे 9 बार लोकसभा के लिए चुने गए 1996 में को पहली बार प्रधानमंत्री बने लेकिन बहुमत साबित ना करने की वजह से मात्र 13 दिनों के बाद उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा और फिर वह 1998 तक विपक्ष के नेता रहे.

1998 में वह फिर से पूर्ण बहुमत साबित करने के बाद प्रधानमंत्री बने अपने कार्यकाल में उन्होंने बहुत हो प्रमुख कार्य किए जिनमें से पोखरण परमाणु परीक्षण, स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना, कावेरी जल विवाद सुलझाना, हवाई अड्डा का विकास, टेलकम नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा समिति का गठन और ग्रामीण रोजगार सृजन प्रमुख थे.

भारतीय राजनीति सीमा मिश्रा का भारतीय राजनीति के सबसे ज्यादा आदर्शवादी और प्रशंसनीय राजू श्रीवास्तव जी लगभग 50 सालों तक भारतीय राजनीति पूरी तरीके से सक्रिय रहे 93 वर्ष के आखिरी पड़ाव पर 16 अगस्त 2018 को उनका देहांत हो गया और उनकी मृत्यु पर पूरे 7 दिनों के राष्ट्रीय शोक भी घोषित किया गया.

@Raj