Wednesday 29 July 2015

Bharat Ratna APJ Abdul Kalam's demise

भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम का निधन
on July 27, 2015, 9:02 p.m.
नई दिल्ली (27 जुलाई): पूर्व राष्ट्रपति और अब्दुल
कलाम आजाद का निधन हो गया है। वह शिलांग में एक लेक्चर देने
के लिए गए थे। 83 साल के कलाम की शिलांग में
आईआईएम में लेक्चर देने गए थे लेकिन वहीं पर
भाषण देने के दौरान वह बेहोश होकर गिर पड़े।
जानकारी के अनुसार, उन्हें वहां के ही
एक अस्पताल में 7 बजे भर्ती कराया गया था। सूत्रों ने
बताया कि उनकी ब्लड प्रेशर और दिल की
धड़कन एकदम से कम हो गई थी जिसके बाद उन्हें
आईसीयू में भर्ती कराया गया।
18 जुलाई, 2002 को डॉक्टर कलाम को नब्बे प्रतिशत बहुमत
द्वारा 'भारत का राष्ट्रपति' चुना गया था और इन्हें 25 जुलाई 2002
को संसद भवन के अशोक कक्ष में राष्ट्रपति पद की
शपथ दिलाई गई। इस संक्षिप्त समारोह में प्रधानमंत्री
अटल बिहारी वाजपेयी, उनके मंत्रिमंडल के
सदस्य तथा अधिकारीगण उपस्थित थे। इनका कार्याकाल
25 जुलाई 2007 को समाप्त हुआ।
भारत के अब तक के सर्वाधिक लोकप्रिय व चहेते राष्ट्रपतियों में
से एक डॉ. अबुल पाकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम
ने तमिलनाडु के एक छोटे से तटीय शहर रामेश्वरम में
अखबार बेचने से लेकर भारत के राष्ट्रपति पद तक का लंबा सफर
तय किया है। पूर्व राष्ट्रपति अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन
अब्दुल कलाम को पूरा देश एपीजे अब्दुल कलाम के
नाम से जानता था। वैज्ञानिक और इंजीनियर कलाम ने
2002 से 2007 तक 11वें राष्ट्रपति के रूप में देश
की सेवा की। मिसाइल मैन के रूप में
प्रसिद्ध कलाम देश की प्रगति और विकास से जुड़े
विचारों से भरे व्यक्ति थे।
एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931
को दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु के रामेश्वरम में
हुआ। पेशे से नाविक कलाम के पिता ज्यादा पढ़े लिखे
नहीं थे। ये मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे।
पांच भाई और पांच बहनों वाले परिवार को चलाने के लिए पिता के पैसे
कम पड़ जाते थे इसलिए शुरुआती शिक्षा
जारी रखने के लिए कलाम को अखबार बेचने का काम
भी करना पड़ा। आठ साल की उम्र से
ही कलाम सुबह 4 बचे उठते थे और नहाकर गणित
की पढ़ाई करने चले जाते थे। सुबह नहाकर जाने के
पीछे कारण यह था कि प्रत्येक साल पांच बच्चों को
मुफ्त में गणित पढ़ाने वाले उनके टीचर बिना नहाए आए
बच्चों को नहीं पढ़ाते थे। ट्यूशन से आने के बाद वो
नमाज पढ़ते और इसके बाद वो सुबह आठ बजे तक रामेश्वरम
रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर न्यूज पेपर बांटते थे।
कलाम ‘एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी’ में आने के
पीछे अपनी पांचवी क्लास के
टीचर सुब्रह्मण्यम अय्यर को बताते थे। वो कहते
हैं, ‘वो हमारे अच्छे टीचर्स में से थे। एक बार उन्होंने
क्लास में पूछा कि चिड़िया कैसे उड़ती है? क्लास के
किसी छात्र ने इसका उत्तर नहीं दिया तो
अगले दिन वो सभी बच्चों को समुद्र के किनारे ले गए,
वहां कई पक्षी उड़ रहे थे। कुछ समुद्र किनारे उतर
रहे थे तो कुछ बैठे थे, वहां उन्होंने हमें पक्षी के
उड़ने के पीछे के कारण को समझाया, साथ
ही पक्षियों के शरीर की
बनावट को भी विस्तार पूर्वक बताया जो उड़ने में
सहायक होता है। उनके द्वारा समझाई गई ये बातें मेरे अंदर इस
कदर समा गई कि मुझे हमेशा महसूस होने लगा कि मैं रामेश्वरम के
समुद्र तट पर हूं और उस दिन की घटना ने मुझे
जिंदगी का लक्ष्य निर्धारित करने की
प्रेरणा दी। बाद में मैंने तय किया कि उड़ान
की दिशा में ही अपना करियर बनाऊं। मैंने
बाद में फिजिक्स की पढ़ाई की और मद्रास
इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल
इंजीनियरिंग में पढ़ाई की।’
1962 में कलाम इसरो में पहुंचे। इन्हीं के प्रोजेक्ट
डायरेक्टर रहते भारत ने अपना पहला स्वदेशी
उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया। 1980 में
रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की
कक्षा के समीप स्थापित किया गया और भारत
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया।
कलाम ने इसके बाद स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन
किया। उन्होंने अग्नि और पृथ्वी जैसी
मिसाइलें भारतीय तकनीक से बनाईं। 1992
से 1999 तक कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार
भी रहे। इस दौरान वाजपेयी सरकार ने
पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर टेस्ट भी
किए और भारत परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में शामिल हो गया।
कलाम ने विजन 2020 दिया। इसके तहत कलाम ने भारत को
विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की के जरिए 2020 तक
अत्याधुनिक करने की खास सोच दी गई।
कलाम भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी
रहे।
1982 में कलाम को डीआरडीएल (डिफेंस
रिसर्च डेवलपमेंट लेबोरेट्री) का डायरेक्टर बनाया गया।
उसी दौरान अन्ना यूनिवर्सिटी ने उन्हें
डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित किया। कलाम ने तब
रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ.
वीएस अरुणाचलम के साथ इंटीग्रेटेड
गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम
(आईजीएमडीपी) का प्रस्ताव
तैयार किया। स्वदेशी मिसाइलों के विकास के लिए कल