आसमान में अपोजिट एनर्जी के बादल हवा से उमड़ते और घुमड़ते रहते हैं. ये विपरीत दिशा में जाए हुए टकराते हैं. इससे होने वाले घर्षण से बिजली पैदा होती है जो धरती पर गिरती है. आसमान में किसी तरह का कंडक्टर न होने से बिजली पृथ्वी पर कंडक्टर की तलाश में पहुंच जाती है, जिससे नुकसान पहुंचता है. धरती पर पहुंचने के बाद बिजली को कंडक्टर की जरूरत पड़ती है. आकाशीय बिजली जब लोहे के खंभों के अगल-बगल से गुजरती है तो वह कंडक्टर का काम करता है. उस समय कोई व्यक्ति यदि उसके संपर्क में आता है तो उसकी जान तक जा सकती है. बिजली चमकने के 10 सेकेंड के बाद गर्जन की आवाज सुनाई देती है. इसका मतलब साफ होता है कि वह आपसे तीन किलोमीटर की दूरी पर है.
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डैमेज हो जाते हैं टिशूज, बॉडी पर पड़ता है इफेक्ट
आसमानी बिजली का असर ह्यूमन बॉडी पर कई गुना होता है. डीप बर्न होने से टिशूज डैमेज हो जाते हैं. उनको आसानी से ठीक नहीं किया जा सकता है. बिजली का असर नर्वस सिस्टम पर पड़ता है. हार्ट अटैक होने से मौत हो जाती है. इसके असर से शारीरिक अपंगता का खतरा होता है. टिशूज के डैमेज होने से गले, सिर और गरदन को ठीक होने में लंबा समय लग जाता है. बिजली गिरने के दौरान सीधे संपर्क में आने वाले लोगों में ज्यादातर की मौत हो जाती है.
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दुनिया भर में हर सेकेंड 1800 से 2000 बादलों की गर्जना होती है।
आकाश से बिजली पृथ्वी पर 22 हजार 400 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गिरती है।
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वैज्ञानिकों की मानें तो आकाश में रोज 44 हजार बार बिजली चमकती है। लेकिन बिजली और हमारे बीच बादलों की मोटी परत की वजह से ये हमें हमेशा नहीं दिखाई पड़ती।
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डैमेज हो जाते हैं टिशूज, बॉडी पर पड़ता है इफेक्ट
आसमानी बिजली का असर ह्यूमन बॉडी पर कई गुना होता है. डीप बर्न होने से टिशूज डैमेज हो जाते हैं. उनको आसानी से ठीक नहीं किया जा सकता है. बिजली का असर नर्वस सिस्टम पर पड़ता है. हार्ट अटैक होने से मौत हो जाती है. इसके असर से शारीरिक अपंगता का खतरा होता है. टिशूज के डैमेज होने से गले, सिर और गरदन को ठीक होने में लंबा समय लग जाता है. बिजली गिरने के दौरान सीधे संपर्क में आने वाले लोगों में ज्यादातर की मौत हो जाती है.
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दुनिया भर में हर सेकेंड 1800 से 2000 बादलों की गर्जना होती है।
आकाश से बिजली पृथ्वी पर 22 हजार 400 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गिरती है।
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वैज्ञानिकों की मानें तो आकाश में रोज 44 हजार बार बिजली चमकती है। लेकिन बिजली और हमारे बीच बादलों की मोटी परत की वजह से ये हमें हमेशा नहीं दिखाई पड़ती।