Tuesday 11 August 2015

Using Painkiller and Antibiotic?? Be Careful.

पेनकिलर और एंटीबायोटीक से सावधान –
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पेनकिलर कभी ना खायें …. अगर किडनी बढ़िया रखनी है तो | पैरासिटामॉल कभी ना खायें .... अगर शरीर, पेट आदि सब अच्छा रखना है तो…. वो तो टी.वी. में ऐसे ही दिखाते हैं "क्या हुआ सर दर्द हुआ कुछ लेते क्यों नहीं ?" हाँ पैरासिटामॉल, आह अच्छा हुआ | अच्छा पैरासिटामॉल से नहीं हुआ उसे रुपया मिला था... वो तो एक्टिंग कर रहा था और तुम सचमुच में खाकर और बीमार हो जाओ | पैरासिटामॉल है, पेनकिलर है, एंटीबायोटीक है, हे भगवान! बचके रहना इनसे | घर पे पड़ी हो तो गटर में फेंक देना किसी को मुफ्त में भी मत देना |

फीके दूध में (गरम दूध हो) हल्दी डालकर पियो एंटीबायोटीक का बाप है | कभी एंटीबायोटीक की जरुरत पड़े तो शुद्ध हल्दी को गरम दूध शक्कर न डाला हुआ उसमे मिलाके पियो | दूध का दूध एंटीबायोटीक का एंटीबायोटीक ...बढ़िया हो जायेगा |
पेनकिलर दर्द होता है तो थोडा खानपान में ध्यान रखे ..जौ का दलिया और जौ के अट्टे की रोटी खायें, तो शरीर में अन्दर जहाँ भी सुजन है जिसके कारण तकलीफ होती है वो चली जायेगी | जो आदमी जौ का दलिया और जौ की रोटी खाता है उसको बुढ़ापे में और जब तक जीयेगा तब तक किडनी ख़राब नहीं होती|
पेरासिटामोल दवा का लंबे समय तक इस्तेमाल गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे लड़के के विकास को प्रभावित कर सकता है.
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यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्रा के वैज्ञानिको का कहना है कि दर्द को कम करने वाली ये दवा अगर सात दिनों तक गर्भवती महिला को दी जाती है तो इससे टेस्टोस्टेरोन के विकास पर प्रभाव पड़ता है
टेस्टोस्टेरोन हार्मोन पुरुषों के जननांग के विकास के लिए अहम माना जाता है.
SOURCE :-BBC
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मित्रो आपके रसोई घर से जो पशुओं के खाने योग्य अपशिष्ट (wastage) निकलती है जैसी बची हुई सब्जी , चायपती, रोटी इत्यादि इनको प्लास्टिक के लिफाफे मे डालने की जगह एक अलग डस्टबीन में डालें और इस डस्टबीन को ऐसी जगह डालें जहां पर आवारा पशु आते जाते हो . जिसको ख़ाकर ये भूखे पशु अपनी भूख शांत कर सकते हैं इसके निम्नलिखित लाभ है
1. पशुओं के पेट मे हानिकारक प्लास्टिक नही जायेगा
2. आपके घर के कुडेदान से दूर्गध नही आयेगी
3. देश को साफसुथरा रखने मे मदद मिलेगी
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लंदन का प्रसिद्ध सेंट जेम्स स्कूल .इस विद्यालय का लगभग हर विद्यार्थी संस्कृत भाषा का अध्ययन करता है . इस विद्यालय के अधयापकों से पूछने पर कि आप अपने स्कूल में संस्कृत क्यों पढातें है तो उनका कहना है कि संस्कृत बोलने से हमारे मस्तिष्क में तंरगे (vibrarations ) उत्पन्न होती है उसके कारण मस्तिष्क कई गुना तेज काम करता है और छात्रों का मानसिक विकास होता है .
मित्रो आप भी अपने बच्चों को संस्कृत सिखाइये .तो आप पूछेंगे कि कैसे ? तो इसके लिए आप बच्चों के लिए सप्ताह में कम से कम एक दिन किसी संस्कृत के आचार्य से TUTION दिलवा सकते है