कैसे मिला जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा ?
क्या है कश्मीर समस्या ?
कश्मीर भारत का या पाकिस्तान का ?
क्यों है जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान ?
1947 में भारत और पाकिस्तान को अंग्रेजों से आजादी मिली | भारतीय स्वतंत्र अधिनियम, 1947 के अनुसार, तमाम रियासतों को यह चयन करने की सुविधा दी गई की वे भारत के साथ रहना चाहते हैं या फिर पाकिस्तान के साथ जुड़ना चाहते हैं | उस समय जम्मू-कश्मीर देश की सबसे बड़ी रियासत थी | इस रियासत पर महाराजा हरि सिंह शासन करते थे | पाकिस्तान को यहाँ की आबादी के हिसाब से यह पूरा भरोसा था की यह रियासत पाकिस्तान के साथ जुड़ेगी, लेकिन हरि सिंह अपने राज्य को न तो पाकिस्तान और न ही भारत में मिलाना चाहते थे | लिहाजा उन्होंने स्वतंत्र रहने का फैसला किया | हरि सिंह से तिरस्कृत होने के बाद पाकिस्तान ने कश्मीर को हथियाने का एक दूसरा हथकंडा अपनाया | उसने पाकिस्तानी सेना को पख्तून कबालियों के साथ जम्मू-कश्मीर पर कब्ज़ा करने को भेजा | इन आक्रमणकारियों को कश्मीर में रह रहे कुछ स्थानीय मुस्लिमों का भी सहयोग मिला, पूरी जम्मू-कह्मिर सल्तनत में हाहाकार मच गया | चारों तरफ खून खराबा हो रहा था | बस यहीं से भारत-पाक युद्ध की रूपरेखा बनने लगी |
इन सबसे परेशान महाराजा हरि सिंह ने भारत से मदद मांगी | इसके बाद 26, अक्टूबर 1947 को महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ समझौता किया | उन्होंने दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करके जम्मू-कश्मीर को भारत में शामिल करने की आधिकारिक सहमती दी, लेकिन इसके साथ शर्त यह रखी की भारत अपनी सेना भेजकर आक्रमणकारियों को जम्मू-कश्मीर से खदेड़ दे | भारत ने यह शर्त मान ली | इस समझौते के तहत भारत डोमिनियन को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 के अनुसार, इस रियासत पर प्रतिरक्षा, विदेश कार्य और संचार की बाबत अधिकारिता प्राप्त हो गई | इसके बाद भारतीय सेना ने आक्रमणकारियों को खदेड़ना शुरू किया | भारत ने 1 जनवरी 1948 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के सामने कश्मीर का मुद्दा रखा | संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् ने 21 अप्रैल, 1948 को प्रस्ताव 47 पारित कर दिया | इसके तहत दोनों देशों को संघर्ष विराम के लिए कहा गया | साथ ही पाकिस्तान से कहा गया की वह जम्मू-कश्मीर से शीघ्र पीछे हेट, जब भारतीय सेना कश्मीर में दाखिल हुई थी, तो कश्मीरी नेता शेख अब्दुल्ला ने मुद्दे पर जनमत संग्रह कराने का समर्थन किया था, लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् द्वारा युद्ध विराम संधि की अलग व्याख्या होने से भारत-पाक संतुष्ट नहीं थे |
इस रियासत के भारत में विलय के समय की परिस्थितियों को देखते हुए भारत सरकार ने अनंतिम व्यवस्था देते हुए यह घोषित किया की जम्मू-कश्मीर राज्य के लोग अपनी संविधान सभा के माध्यम से कार्य करते हुए यह अंतिम रूप से अवधारित करेंगे की राज्य का संविधान क्या होगा और भारत संघ की अधिकारिता क्या होगी | इसके बाद नवम्बर 1948 में दोनों देश जनमत संग्रह को राजी हुए | बाद में भारत ने इससे किनारा कर लिया और कहा की पाकिस्तान पहले अपनी सेनाएं कश्मीर से हटाए |
इस प्रकार भारत की संविधान सभा ने 17 अक्टूबर, 1949 को धारा 370 को अपनाया, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया |
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर(पीओके) या गुलाम कश्मीर, कथित रूप से आजाद जम्मू और कश्मीर(एजेके) और गिलगित, बाल्टिस्तान(अगस्त 2009 तक इसे पाक का उत्तरी क्षेत्र कहा जाता था) से मिलकर बना है | पीओके जम्मू और कश्मीर का हिस्सा है तथा भारत का अभिन्न अंग है | 22 अक्टूबर, 1947 से पाकिस्तान के गैर कानूनी नियंत्रण में तबसे है, जब उसके समर्थन से कबालियों ने जम्मू-कश्मीर रियासत पर हमला बोला था | उसके तत्काल बाद शासक हरि सिंह ने 26 अक्टूबर को भारत में विलय पर हस्ताक्षर कर दिए | इसके चलते जम्मू-कश्मीर का एक हिस्सा पाक के अवैध कब्जे में बना रहा और दूसरा बाकी हिस्सा भारत के पास ही रहा |