● पंचायती राज ( Panchayati Raj ) :→
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→ भारतीय संविधान के राज्य की नीति के निदेशक तत्व के अंतर्गत ग्राम पंचायतों के संगठन (Art.-40) की बात लिखी गयी है।
Art.-40:- राज्य ग्राम पंचायतों का संगठन करने के लिए कदम उठाएगा और उनको ऐसी शक्तियां और प्राधिकार प्रदान करेगा जो उन्हें स्वायत्त शासन की इकाइयों के रूप में कार्य करने योग्य बनाने के लिए आवश्यक हों।
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→ आधुनिक भारत में प्रथम बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा राजस्थान के नागौर जिले में 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज का उद्घाटन किया गया। भारत में प्रचीन काल से ही पंचायती राज व्यवस्था आस्तित्व में रही हैं।
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→ पंचायती राज संस्था से सम्बंधित समितियां :-
• बलवंत राय मेहता समिति (1958)
• के संथानम आयोग (1963)
• अशोक मेहता समिति (1978)
• जी वी के राय समिति(1985)
• एल एम सिंघवी समिति (1986)
• पी के थुंगन समिति(1988)
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●● 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 :→
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→ इस विधेयक को लोकसभा द्वारा 22 दिसम्बर 1992 को , राज्यसभा द्वारा 23 दिसम्बर 1992 को पारित किया गया । इसके बाद 17 विधान सभाओं द्वारा मान्यता दी गयी। राष्ट्रपति की स्वीकृति 20 अप्रैल 1993 को मिली। 24 अप्रैल 1993 से यह लागू हो गया।
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→ इस अधिनियम ने पंचायती राज संस्थाओं को एक संवैधानिक दर्जा दिया। संविधान में भाग - 9 (Art. 243A- 243 O)जोड़ा गया।
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→ इस अधिनियम में एक नयी 11वीं अनुसूची भी जोड़ी गयी। जिसमें पंचायती राज संस्था के कार्यों का उल्लेख है। इसमें 29 विषय हैं।
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→ प्रत्येक राज्य में ग्राम, मध्यवर्ती और जिला स्तर पर पंचायतों का गठन किया जायेगा। मध्यवर्ती स्तर पर पंचायत का उस राज्य में गठन नहीं किया जा सकेगा जिसकी जनसंख्या 20 लाख से अधिक नहीं है।
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→ ग्राम स्तर पर किसी पंचायत के अध्यक्ष का निर्वाचन ऐसी रीति से जो राज्य के विधान मंडल द्वारा उपबंधित की जाय , किया जायेगा।
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→ मध्यवर्ती स्तर या जिला स्तर पर किसी पंचायत के अध्यक्ष का निर्वाचन , उसके निर्वाचित सदस्यों द्वारा अपने में से किया जायेगा।
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→ आरक्षण की नीति बहुत विस्तृत है।
• SC और ST के लिए आरक्षण उनकी जनसंख्या के अनुपात में होगा।
• SCऔर ST के लिए आरक्षित स्थानों में से 1/3 आरक्षित प्रवर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित किये जायेंगे।
• प्रत्येक पंचायत में प्रत्यक्ष निर्वाचन में भरे जाने वाले कुल स्थानों में से कम से कम 1/3 स्थान महिलाओ के लिए आरक्षित होंगे। ऐसे स्थान किसी पंचायत में भिन्न भिन्न निर्वाचन क्षेत्रों को चक्रानुक्रम से आवंटित किये जा सकेंगे।
• पिछड़े हुए नागरिकों के किसी वर्ग को आरक्षण से सम्बंधित रीति राज्य के विधान मंडल बना सकते हैं।
• संविधान संशोधन विधेयक , 110 में पंचायती राज संस्थाओ में महिलाओं का आरक्षण कम से कम 50% करने का प्रावधान किया गया है। कई राज्यों ने महिला आरक्षण 50% कर भी दिया है।
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→ पंचायतों की अवधि -
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• प्रत्येक पंचायत अपने प्रथम अधिवेशन के लिए नियत तारीख से पाँच वर्ष तक बनी रहेगी , इससे अधिक नहीं। पंचायत को विधि के अनुसार इसके पहले विघटित किया जा सकता है।
•नयी पंचायत को गठित करने के लिए निर्वाचन विद्यमान पंचायत की अवधि के समाप्त होने के पहले कर लिया जायेगा।
• यदि पंचायत का विघटन हो जाता है तो निर्वाचन उसके विघटन की तारिख से 6 माह के भीतर पूरा हो जाना चाहिए ।
•विघटन के पश्चात् जो पंचायत बनती है वह 5 वर्ष की पूर्ण अवधि तक काम नहीं करती । वह शेष अवधि तक ही काम करेगी।
• यदि शेष अवधि 6 माह से कम हो तो चुनाव नहीं होंगे।
→ राज्य का राज्यपाल प्रत्येक पाँच वर्ष की समाप्ती पर एक वित्त आयोग का गठन करेगा । जो पंचायतों की वित्तीय स्थिति का पुनर्विलोकन करेगा । इस पहल के द्वारा यह सुनिश्चित किया गया है कि ग्रामीण स्थानीय शासन को धन आवंटित करना राजनीतिक मसला न बने।
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→ पंचायतों के लिए कराये जाने वाले सभी निर्वाचनों के लिए निर्वाचन नामावली तैयार कराने का और उन सभी निर्वाचनों के संचालन का अधीक्षण , निदेशन और नियंत्रण एक राज्य निर्वाचन आयोग में निहित होगा , जिसमे एक राज्य निर्वाचन आयुक्त होगा , जो राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जायेगा।
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●● पंचायती राज संस्था से सम्बंधित वर्तमान विकास :→
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●● 14वें वित्त आयोग द्वारा दिए जाने वाली धनराशी और सुझाव :-
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→पंचायतों के लिए 2,00,292.2 करोड़ रूपये अनुदान के रूप में दिए जायेंगे।
→ अनुदान का 90% मूल अनुदान है जबकी अनुदान का 10% कार्य निष्पादन अनुदान है।
→ खनन क्षेत्र से प्राप्त राजस्व में से कुछ धनराशी पंचायती राज संस्था को दिया जाये ।
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→ प्रत्येक राज्य सरकार व्यवसायिक कर जो वर्तमान समय में 2,500 रुपये है।इसे बढ़ा कर 12000 रुपये करेगी। इसमे कुछ धनराशी स्थानीय शासन इकाइयों(PRI & ULB) को दिया जाये।
केरल और तमिलनाडु में यह पहले से हो रहा है।
→ केंद्र सरकार की सम्पत्ति पर राज्य सरकार कुछ शुल्क लगाएगी और इसका बंटवारा PRI & ULB में करेगी।
→ राज्य सरकार मनोरंजन कर में वृद्धि कर सकती है। इससे प्राप्त धनराशि को PRI & ULB में वितरित करेगी।
→ भारत सरकार पंचायतों को इंटरनेट और कंप्यूटर से जोड़ने का प्रयास कर रही है। 2015-16 के बजट में 7.5 लाख किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर बिछाया जायेगा। जिसमे राज्यों की भागीदारी ली जायेगी। आंध्रप्रदेश पहला राज्य है जिसको इस प्रोजेक्ट में भागीदार बनाया गया है।
→ न्यायिक पंचायत विधेयक 2010 के अंतर्गत पंच के द्वारा दिए गए निर्णय को कानूनी अधिकार प्राप्त होगा।
→ ग्राम न्यायालय अधिनियम 2008 के अंतर्गत 2 अक्टूबर 2009 से प्रखंड स्तर पर ग्राम न्यायालय का गठन किया जा रहा है। जो सभी प्रकार के विवादों का निपटारा 6 माह के अंदर करेगा।
→ मणिशंकर समिति के रिपोर्ट पर भारत सरकार ने मई 2013 के बाद राष्ट्रिय पंचायत आयोग के गठन की प्रक्रिया प्रारम्भ की है। जिसका मुख्य कार्य पंचायत के तीनो स्तर के लिए योजना का निर्माण करना है और आपसी समन्वय को बढ़ावा देना है।
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→ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस ( 24 अप्रैल ) के अवसर पर एक सम्मेलन को सम्बोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पंचायतों को पंचवर्षीय योजनाओं की आदत डालनी चाहिए, सिर्फ बजट से गांव की स्थिति नहीं बदलेगी। उन्होंने कहा कि गांवो में बच्चों का स्कूल छोड़ना चिंता का कारण है और हमें गांव के स्तर पर सोचना होगा। इसलिए हर सप्ताह ' अपना गांव अपना विकास ' पर चर्चा हो। महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत गांवों में बसता है। हमें यह सोचने की जरूरत है कि हमारे गांवों का विकास कैसे हो।
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→ भारतीय संविधान के राज्य की नीति के निदेशक तत्व के अंतर्गत ग्राम पंचायतों के संगठन (Art.-40) की बात लिखी गयी है।
Art.-40:- राज्य ग्राम पंचायतों का संगठन करने के लिए कदम उठाएगा और उनको ऐसी शक्तियां और प्राधिकार प्रदान करेगा जो उन्हें स्वायत्त शासन की इकाइयों के रूप में कार्य करने योग्य बनाने के लिए आवश्यक हों।
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→ आधुनिक भारत में प्रथम बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा राजस्थान के नागौर जिले में 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज का उद्घाटन किया गया। भारत में प्रचीन काल से ही पंचायती राज व्यवस्था आस्तित्व में रही हैं।
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→ पंचायती राज संस्था से सम्बंधित समितियां :-
• बलवंत राय मेहता समिति (1958)
• के संथानम आयोग (1963)
• अशोक मेहता समिति (1978)
• जी वी के राय समिति(1985)
• एल एम सिंघवी समिति (1986)
• पी के थुंगन समिति(1988)
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●● 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 :→
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→ इस विधेयक को लोकसभा द्वारा 22 दिसम्बर 1992 को , राज्यसभा द्वारा 23 दिसम्बर 1992 को पारित किया गया । इसके बाद 17 विधान सभाओं द्वारा मान्यता दी गयी। राष्ट्रपति की स्वीकृति 20 अप्रैल 1993 को मिली। 24 अप्रैल 1993 से यह लागू हो गया।
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→ इस अधिनियम ने पंचायती राज संस्थाओं को एक संवैधानिक दर्जा दिया। संविधान में भाग - 9 (Art. 243A- 243 O)जोड़ा गया।
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→ इस अधिनियम में एक नयी 11वीं अनुसूची भी जोड़ी गयी। जिसमें पंचायती राज संस्था के कार्यों का उल्लेख है। इसमें 29 विषय हैं।
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→ प्रत्येक राज्य में ग्राम, मध्यवर्ती और जिला स्तर पर पंचायतों का गठन किया जायेगा। मध्यवर्ती स्तर पर पंचायत का उस राज्य में गठन नहीं किया जा सकेगा जिसकी जनसंख्या 20 लाख से अधिक नहीं है।
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→ ग्राम स्तर पर किसी पंचायत के अध्यक्ष का निर्वाचन ऐसी रीति से जो राज्य के विधान मंडल द्वारा उपबंधित की जाय , किया जायेगा।
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→ मध्यवर्ती स्तर या जिला स्तर पर किसी पंचायत के अध्यक्ष का निर्वाचन , उसके निर्वाचित सदस्यों द्वारा अपने में से किया जायेगा।
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→ आरक्षण की नीति बहुत विस्तृत है।
• SC और ST के लिए आरक्षण उनकी जनसंख्या के अनुपात में होगा।
• SCऔर ST के लिए आरक्षित स्थानों में से 1/3 आरक्षित प्रवर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित किये जायेंगे।
• प्रत्येक पंचायत में प्रत्यक्ष निर्वाचन में भरे जाने वाले कुल स्थानों में से कम से कम 1/3 स्थान महिलाओ के लिए आरक्षित होंगे। ऐसे स्थान किसी पंचायत में भिन्न भिन्न निर्वाचन क्षेत्रों को चक्रानुक्रम से आवंटित किये जा सकेंगे।
• पिछड़े हुए नागरिकों के किसी वर्ग को आरक्षण से सम्बंधित रीति राज्य के विधान मंडल बना सकते हैं।
• संविधान संशोधन विधेयक , 110 में पंचायती राज संस्थाओ में महिलाओं का आरक्षण कम से कम 50% करने का प्रावधान किया गया है। कई राज्यों ने महिला आरक्षण 50% कर भी दिया है।
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→ पंचायतों की अवधि -
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• प्रत्येक पंचायत अपने प्रथम अधिवेशन के लिए नियत तारीख से पाँच वर्ष तक बनी रहेगी , इससे अधिक नहीं। पंचायत को विधि के अनुसार इसके पहले विघटित किया जा सकता है।
•नयी पंचायत को गठित करने के लिए निर्वाचन विद्यमान पंचायत की अवधि के समाप्त होने के पहले कर लिया जायेगा।
• यदि पंचायत का विघटन हो जाता है तो निर्वाचन उसके विघटन की तारिख से 6 माह के भीतर पूरा हो जाना चाहिए ।
•विघटन के पश्चात् जो पंचायत बनती है वह 5 वर्ष की पूर्ण अवधि तक काम नहीं करती । वह शेष अवधि तक ही काम करेगी।
• यदि शेष अवधि 6 माह से कम हो तो चुनाव नहीं होंगे।
→ राज्य का राज्यपाल प्रत्येक पाँच वर्ष की समाप्ती पर एक वित्त आयोग का गठन करेगा । जो पंचायतों की वित्तीय स्थिति का पुनर्विलोकन करेगा । इस पहल के द्वारा यह सुनिश्चित किया गया है कि ग्रामीण स्थानीय शासन को धन आवंटित करना राजनीतिक मसला न बने।
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→ पंचायतों के लिए कराये जाने वाले सभी निर्वाचनों के लिए निर्वाचन नामावली तैयार कराने का और उन सभी निर्वाचनों के संचालन का अधीक्षण , निदेशन और नियंत्रण एक राज्य निर्वाचन आयोग में निहित होगा , जिसमे एक राज्य निर्वाचन आयुक्त होगा , जो राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जायेगा।
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●● पंचायती राज संस्था से सम्बंधित वर्तमान विकास :→
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●● 14वें वित्त आयोग द्वारा दिए जाने वाली धनराशी और सुझाव :-
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→पंचायतों के लिए 2,00,292.2 करोड़ रूपये अनुदान के रूप में दिए जायेंगे।
→ अनुदान का 90% मूल अनुदान है जबकी अनुदान का 10% कार्य निष्पादन अनुदान है।
→ खनन क्षेत्र से प्राप्त राजस्व में से कुछ धनराशी पंचायती राज संस्था को दिया जाये ।
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→ प्रत्येक राज्य सरकार व्यवसायिक कर जो वर्तमान समय में 2,500 रुपये है।इसे बढ़ा कर 12000 रुपये करेगी। इसमे कुछ धनराशी स्थानीय शासन इकाइयों(PRI & ULB) को दिया जाये।
केरल और तमिलनाडु में यह पहले से हो रहा है।
→ केंद्र सरकार की सम्पत्ति पर राज्य सरकार कुछ शुल्क लगाएगी और इसका बंटवारा PRI & ULB में करेगी।
→ राज्य सरकार मनोरंजन कर में वृद्धि कर सकती है। इससे प्राप्त धनराशि को PRI & ULB में वितरित करेगी।
→ भारत सरकार पंचायतों को इंटरनेट और कंप्यूटर से जोड़ने का प्रयास कर रही है। 2015-16 के बजट में 7.5 लाख किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर बिछाया जायेगा। जिसमे राज्यों की भागीदारी ली जायेगी। आंध्रप्रदेश पहला राज्य है जिसको इस प्रोजेक्ट में भागीदार बनाया गया है।
→ न्यायिक पंचायत विधेयक 2010 के अंतर्गत पंच के द्वारा दिए गए निर्णय को कानूनी अधिकार प्राप्त होगा।
→ ग्राम न्यायालय अधिनियम 2008 के अंतर्गत 2 अक्टूबर 2009 से प्रखंड स्तर पर ग्राम न्यायालय का गठन किया जा रहा है। जो सभी प्रकार के विवादों का निपटारा 6 माह के अंदर करेगा।
→ मणिशंकर समिति के रिपोर्ट पर भारत सरकार ने मई 2013 के बाद राष्ट्रिय पंचायत आयोग के गठन की प्रक्रिया प्रारम्भ की है। जिसका मुख्य कार्य पंचायत के तीनो स्तर के लिए योजना का निर्माण करना है और आपसी समन्वय को बढ़ावा देना है।
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→ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस ( 24 अप्रैल ) के अवसर पर एक सम्मेलन को सम्बोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पंचायतों को पंचवर्षीय योजनाओं की आदत डालनी चाहिए, सिर्फ बजट से गांव की स्थिति नहीं बदलेगी। उन्होंने कहा कि गांवो में बच्चों का स्कूल छोड़ना चिंता का कारण है और हमें गांव के स्तर पर सोचना होगा। इसलिए हर सप्ताह ' अपना गांव अपना विकास ' पर चर्चा हो। महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत गांवों में बसता है। हमें यह सोचने की जरूरत है कि हमारे गांवों का विकास कैसे हो।