गणित – प्राथमिक नियम
किसी संख्या में किसी अंक का स्थान विशेष पर जो मान होता है, उसे
स्थानीय मान कहते हैं.
जिधर छोटी संख्या होती है उधर चिह्न का बंद मुंह अर्थात नोक रखते है और जिधर बड़ी संख्या होती है उधर चिह्न का खुला मुहं अर्थात पुंछ रखते हैं
संख्यों के बढ़ते क्रम को ( १,२,३,४,५,६———–) आरोही क्रम कहते हैं.
संख्यों के घटते क्रम को ( ९,८,७,६,५,४,३———–) अवरोही क्रम कहते हैं.
जब इकाई के अंकों का योग १० या १० से अधिक हो तो उसमे जितनी दहाई होती है उसको उस अंक की दहाई में जोड़ते हैं शेष को उसी संख्या के नीचे लिख देते हैं.
किसी संख्या का बार बार जोड़ ही गुना कहलाता है
जिस संख्या में गुना करते हैं उसे गुण्य कहते हैं जिसका गुना करते हैं उसे गुणक कहते है तथा जो फल यानी उत्तर प्राप्त होता है उसे गुणनफल कहते है.
गुणनफल को गुण्य से भाग दे तो गुणक प्राप्त होता है
गुणनफल को गुणक से भाग देने पर गुण्य प्राप्त होता है
वस्तुओं के समूह को बराबर बराबर हिस्सों में बांटना ही भाग कहलाता है.
जिस संख्या में भाग दिया जाता है उसे भाज्य कहते हैं .
जिस संख्या से भाग देते हैं उसे भाजक कहते हैं.
भाग में जो परिणाम आता है उसे भागफल कहते हैं
जो वस्तुं गेंद की तरह गोल होती हैं उन्हें गोलाकार कहते हैं.
जो वस्तएं माचिस के आकर की होती हैं उन्हें घनाब कहते हैं इसकी लम्बाई
चौड़ाई और उचाई समान नहीं होती है
जिस घनाब की लम्बाई चौड़ाई और उचाई समान होती है उसे घन कहते हें.
जो वस्तएं पेंसिल के आकर की होती हैं उन्हें बेलनाकार कहते हैं
जो वस्तएं लट्टू के आकर की होती हैं उन्हें शंक्वाकार कहते हैं
वस्तु के जिस तल को हम छूकर देख सकते हैं उसे पृष्ठ कहते हैं
आड़ी तिरछी रेखा को वक्र रेखा कहते हें.
दूरी अथवा लम्बाई नापने का मानक पैमाना मीटर है.
तरल पदार्थों जैसे दूध या तेल आदि को लीटर में नापते हैं
वर्ग एक ऐसा आयत है जिसकी सभी भुजाएं आपस में बराबर होती हैं .
किसी आकृति सी सभी भुजाओ का योग ही उसका परिमाप होता है
वर्ग का परिमाप उसकी भुजाओं की लम्बाई के चार गुना के बराबर होता है.
आयत का परिमाप उसकी आमने- सामने की भुजाओं के योग के दो गुने के
बराबर होता है.
त्रिभुज का परिमाप उसकी तीनों भुजाओं के योग के बराबर होता है.
किसी संख्या में किसी अंक का स्थान विशेष पर जो मान होता है, उसे
स्थानीय मान कहते हैं.
जिधर छोटी संख्या होती है उधर चिह्न का बंद मुंह अर्थात नोक रखते है और जिधर बड़ी संख्या होती है उधर चिह्न का खुला मुहं अर्थात पुंछ रखते हैं
संख्यों के बढ़ते क्रम को ( १,२,३,४,५,६———–) आरोही क्रम कहते हैं.
संख्यों के घटते क्रम को ( ९,८,७,६,५,४,३———–) अवरोही क्रम कहते हैं.
जब इकाई के अंकों का योग १० या १० से अधिक हो तो उसमे जितनी दहाई होती है उसको उस अंक की दहाई में जोड़ते हैं शेष को उसी संख्या के नीचे लिख देते हैं.
किसी संख्या का बार बार जोड़ ही गुना कहलाता है
जिस संख्या में गुना करते हैं उसे गुण्य कहते हैं जिसका गुना करते हैं उसे गुणक कहते है तथा जो फल यानी उत्तर प्राप्त होता है उसे गुणनफल कहते है.
गुणनफल को गुण्य से भाग दे तो गुणक प्राप्त होता है
गुणनफल को गुणक से भाग देने पर गुण्य प्राप्त होता है
वस्तुओं के समूह को बराबर बराबर हिस्सों में बांटना ही भाग कहलाता है.
जिस संख्या में भाग दिया जाता है उसे भाज्य कहते हैं .
जिस संख्या से भाग देते हैं उसे भाजक कहते हैं.
भाग में जो परिणाम आता है उसे भागफल कहते हैं
जो वस्तुं गेंद की तरह गोल होती हैं उन्हें गोलाकार कहते हैं.
जो वस्तएं माचिस के आकर की होती हैं उन्हें घनाब कहते हैं इसकी लम्बाई
चौड़ाई और उचाई समान नहीं होती है
जिस घनाब की लम्बाई चौड़ाई और उचाई समान होती है उसे घन कहते हें.
जो वस्तएं पेंसिल के आकर की होती हैं उन्हें बेलनाकार कहते हैं
जो वस्तएं लट्टू के आकर की होती हैं उन्हें शंक्वाकार कहते हैं
वस्तु के जिस तल को हम छूकर देख सकते हैं उसे पृष्ठ कहते हैं
आड़ी तिरछी रेखा को वक्र रेखा कहते हें.
दूरी अथवा लम्बाई नापने का मानक पैमाना मीटर है.
तरल पदार्थों जैसे दूध या तेल आदि को लीटर में नापते हैं
वर्ग एक ऐसा आयत है जिसकी सभी भुजाएं आपस में बराबर होती हैं .
किसी आकृति सी सभी भुजाओ का योग ही उसका परिमाप होता है
वर्ग का परिमाप उसकी भुजाओं की लम्बाई के चार गुना के बराबर होता है.
आयत का परिमाप उसकी आमने- सामने की भुजाओं के योग के दो गुने के
बराबर होता है.
त्रिभुज का परिमाप उसकी तीनों भुजाओं के योग के बराबर होता है.