हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद कौन हैं ?
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1. स्वतंत्रता के पहले जब भारतीय हॉकी टीम विदेशी दौरे पर थी,
भारत ने 3 ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते.
और
खेले गए 48 मैचो में से सभी 48 मैच भारत ने जीते.
2. भारत 20 वर्षो से हॉकी में अपराजेय था.
हमने अमेरिका को खेले गए सभी मेचो में करारी मात दी,
इसी के चलते अमेरिका ने कुछ वर्षों तक भारत पर प्रतिबन्ध लगा दिया था,
3. ध्यानचंद के प्रशंसको की लिस्ट में हिटलर का नाम सबसे ऊपर आता है.
हिटलर ने ध्यानचंद को जर्मनी की नागरिकता लेने के लिए प्रार्थना की,
साथ ही जर्मनी की ओर से खेलने के लिए आमंत्रित किया'
उसके बदले उन्हें सेना में अधिकारी का पद और बहुत सारा पैसा देने की बात कही.
लेकिन
जवाब में ध्यानचंद ने उन्हें कहा कि
"मैं पैसों के लिए नहीं देश के लिए खेलता हूँ...!"
4.कैसे हिटलर ध्यानचंद के प्रशंसक बने?
जब जर्मनी में हॉकी वर्ल्डकप चल रहा था.
तब एक मैच के दौरान जर्मनी के गोल कीपर ने उन्हें घायल कर दिया.
इसी बात का बदला लेने के लिए ध्यानचंद ने टीम के सभी खिलाडियों के साथ एक योजना बनाई,
भारतीय टीम ने गोल तक बॉल पहुचाने के बाद भी गोल नहीं किया,,
और
बॉल को वहीं छोड़ दिया.
यह जर्मनी के लिए बहुत शर्म की बात थी.
5. एक मैच ऐसा भी था,
जिसमे ध्यानचंद एक भी गोल नहीं कर पा रहे थे .
इस बीच
उन्होंने रेफरी से कहा-
"मुझे मैदान की लम्बाई कम लग रही है..!"
जांच करने पर ध्यानचंद सही पाए गए,
और मैदान को ठीक किया गया.
उसके बाद ध्यानचंद ने उसी मैच में 8 गोल दागे.
6. वे एक अकेले भारतीय थे जिन्होंने आजादी से पहले भारत में ही नहीं जर्मनी में भी भारतीय झंडे को फहराया.
उस समय हम अंग्रेजो के गुलाम हुआ करते थे,
भारतीय ध्वज पर प्रतिबंध था.
इसलिए उन्होंने ध्वज को अपनी नाईटड्रेस में छुपाया और उसे जर्मनी ले गए.
इस पर अंग्रेजी शासन के अनुसार उन्हें कारावास
हो सकती थी,
लेकिन हिटलर ने ऐसा नहीं किया.
7. जीवन के अंतिम समय में उनके पास खाने के लिए पैसे नहीं थे.
इसी दौरान
जर्मनी और अमेरिका ने उन्हें कोच का पद ऑफर किया लेकिन उन्होंने यह कहकर नकार दिया कि
"अगर मैं उन्हें हॉकी खेलना सिखाता हूँ,
तो भारत और अधिक
समय तक विश्व चैंपियन नहीं रहेगा..!"
लेकिन भारत की सरकार ने उन्हें किसी प्रकार की मदद नहीं की
तदुपरांत भारतीय आर्मी ने उनकी मदद की.
एक बार ध्यानचंद अहमदाबाद में एक हॉकी मैच देखने गए. लेकिन,
उन्हें स्टेडियम में प्रवेश नहीं दिया गया,
स्टेडियम संचालको ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया .
इसी मैच में जवाहरलाल नेहरु भी उपस्थित थे..
8. आख़िरकार क्रिकेट के आदर्श सर डॉन ब्रेडमैन ने कहा "मैं ध्यानचंद का बहुत
बड़ा प्रशंसक हूँ,
मेरे रन बनाने से भी ज्यादा आसानी से वे गोल करते है,"
9.एक मैच मे उनके द्वारा गोल पर गोल करने से विरोधी टीम ने कहा की उनकी हॉकी को तोड़ के देखा जाना चाहिए सायद उसमे कोई चुम्बक का प्रयोग किया गया है क्योकि जब उनके पास बाल होती है तो वो उनसे चुम्बक की तरह चिपक सी जाती है और हमारे तीन तीन खिलाडी भी बाल उनसे छीन नही पाते है और उनकी हॉकी को तोड़ कर देखा गया जो की लकड़ी की बनी हुई थी । उस पर ध्यानचंद जी ने कहा माना की मेरी हॉकी में चुम्बक लगा हो पर पहले आप ये बताये की क्या आपकी बोल लोहे की है ।
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1. स्वतंत्रता के पहले जब भारतीय हॉकी टीम विदेशी दौरे पर थी,
भारत ने 3 ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते.
और
खेले गए 48 मैचो में से सभी 48 मैच भारत ने जीते.
2. भारत 20 वर्षो से हॉकी में अपराजेय था.
हमने अमेरिका को खेले गए सभी मेचो में करारी मात दी,
इसी के चलते अमेरिका ने कुछ वर्षों तक भारत पर प्रतिबन्ध लगा दिया था,
3. ध्यानचंद के प्रशंसको की लिस्ट में हिटलर का नाम सबसे ऊपर आता है.
हिटलर ने ध्यानचंद को जर्मनी की नागरिकता लेने के लिए प्रार्थना की,
साथ ही जर्मनी की ओर से खेलने के लिए आमंत्रित किया'
उसके बदले उन्हें सेना में अधिकारी का पद और बहुत सारा पैसा देने की बात कही.
लेकिन
जवाब में ध्यानचंद ने उन्हें कहा कि
"मैं पैसों के लिए नहीं देश के लिए खेलता हूँ...!"
4.कैसे हिटलर ध्यानचंद के प्रशंसक बने?
जब जर्मनी में हॉकी वर्ल्डकप चल रहा था.
तब एक मैच के दौरान जर्मनी के गोल कीपर ने उन्हें घायल कर दिया.
इसी बात का बदला लेने के लिए ध्यानचंद ने टीम के सभी खिलाडियों के साथ एक योजना बनाई,
भारतीय टीम ने गोल तक बॉल पहुचाने के बाद भी गोल नहीं किया,,
और
बॉल को वहीं छोड़ दिया.
यह जर्मनी के लिए बहुत शर्म की बात थी.
5. एक मैच ऐसा भी था,
जिसमे ध्यानचंद एक भी गोल नहीं कर पा रहे थे .
इस बीच
उन्होंने रेफरी से कहा-
"मुझे मैदान की लम्बाई कम लग रही है..!"
जांच करने पर ध्यानचंद सही पाए गए,
और मैदान को ठीक किया गया.
उसके बाद ध्यानचंद ने उसी मैच में 8 गोल दागे.
6. वे एक अकेले भारतीय थे जिन्होंने आजादी से पहले भारत में ही नहीं जर्मनी में भी भारतीय झंडे को फहराया.
उस समय हम अंग्रेजो के गुलाम हुआ करते थे,
भारतीय ध्वज पर प्रतिबंध था.
इसलिए उन्होंने ध्वज को अपनी नाईटड्रेस में छुपाया और उसे जर्मनी ले गए.
इस पर अंग्रेजी शासन के अनुसार उन्हें कारावास
हो सकती थी,
लेकिन हिटलर ने ऐसा नहीं किया.
7. जीवन के अंतिम समय में उनके पास खाने के लिए पैसे नहीं थे.
इसी दौरान
जर्मनी और अमेरिका ने उन्हें कोच का पद ऑफर किया लेकिन उन्होंने यह कहकर नकार दिया कि
"अगर मैं उन्हें हॉकी खेलना सिखाता हूँ,
तो भारत और अधिक
समय तक विश्व चैंपियन नहीं रहेगा..!"
लेकिन भारत की सरकार ने उन्हें किसी प्रकार की मदद नहीं की
तदुपरांत भारतीय आर्मी ने उनकी मदद की.
एक बार ध्यानचंद अहमदाबाद में एक हॉकी मैच देखने गए. लेकिन,
उन्हें स्टेडियम में प्रवेश नहीं दिया गया,
स्टेडियम संचालको ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया .
इसी मैच में जवाहरलाल नेहरु भी उपस्थित थे..
8. आख़िरकार क्रिकेट के आदर्श सर डॉन ब्रेडमैन ने कहा "मैं ध्यानचंद का बहुत
बड़ा प्रशंसक हूँ,
मेरे रन बनाने से भी ज्यादा आसानी से वे गोल करते है,"
9.एक मैच मे उनके द्वारा गोल पर गोल करने से विरोधी टीम ने कहा की उनकी हॉकी को तोड़ के देखा जाना चाहिए सायद उसमे कोई चुम्बक का प्रयोग किया गया है क्योकि जब उनके पास बाल होती है तो वो उनसे चुम्बक की तरह चिपक सी जाती है और हमारे तीन तीन खिलाडी भी बाल उनसे छीन नही पाते है और उनकी हॉकी को तोड़ कर देखा गया जो की लकड़ी की बनी हुई थी । उस पर ध्यानचंद जी ने कहा माना की मेरी हॉकी में चुम्बक लगा हो पर पहले आप ये बताये की क्या आपकी बोल लोहे की है ।