भारतीय रेल
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भारतीय रेल (आईआर) एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है तथा एकल प्रबंधनाधीन यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। यह १५० वर्षों से भी अधिक समय तक भारत के परिवहन क्षेत्र का मुख्य संघटक रहा है। यह विश्व का सबसे बड़ा नियोक्ता है, इसके १६ लाख से भी अधिक कर्मचारी हैं। यह न केवल देश की मूल संरचनात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अपितु बिखरे हुए क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने में और देश राष्ट्रीय अखंडता का भी संवर्धन करता है। राष्ट्रीय आपात स्थिति के दौरान आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने में भारतीय रेलवे अग्रणी रहा है।
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भारतीय रेल (आईआर) एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है तथा एकल प्रबंधनाधीन यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। यह १५० वर्षों से भी अधिक समय तक भारत के परिवहन क्षेत्र का मुख्य संघटक रहा है। यह विश्व का सबसे बड़ा नियोक्ता है, इसके १६ लाख से भी अधिक कर्मचारी हैं। यह न केवल देश की मूल संरचनात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अपितु बिखरे हुए क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने में और देश राष्ट्रीय अखंडता का भी संवर्धन करता है। राष्ट्रीय आपात स्थिति के दौरान आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने में भारतीय रेलवे अग्रणी रहा है।
अर्थव्यस्था में अंतर्देशीय परिवहन का रेल मुख्य माध्यम है। यह ऊर्जा सक्षम परिवहन मोड, जो बड़ी मात्रा में जनशक्ति के आवागमन के लिए बड़ा ही आदर्श एवं उपयुक्त है, बड़ी मात्रा में वस्तुओं को लाने ले जाने तथा लंबी दूरी की यात्रा के लिए अत्यन्त उपयुक्त हैं। यह देश की जीवन धारा हैं और इसके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए इनका महत्वपूर्ण स्थान है। सुस्थापित रेल प्रणाली देश के दूरतम स्थानों से लोगों को एक साथ मिलाती है और व्यापार करना, दृश्य दर्शन, तीर्थ और शिक्षा संभव बनाती है। यह जीवन स्तर सुधारती है और इस प्रकार से उद्योग और कृषि का विकासशील त्वरित करने में सहायता करता है।
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भारत में रेलों की शुरुआत ;------------------
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[भारत में रेलों की शुरुआत 1853 में अंग्रेजों द्वारा अपनी प्राशासनिक सुविधा के लिये की गयी थी] परंतु आज भारत के ज्यादातर हिस्सों में रेलवे का जाल बिछा हुआ है और रेल, परिवहन का सस्ता और मुख्य साधन बन चुकी है। सन् 1853 में बहुत ही मामूली शुरूआत से जब [पहली अप ट्रेन ने मुंबई से थाणे तक (34 कि.मी. की दूरी) की दूरी तय की थी,] अब भारतीय रेल विशाल नेटवर्क में विकसित हो चुका है इसके 64,640 कि.मी.मार्ग की लंबाई पर 7,133 स्टेशन फैले हुए हैं। उनके पास 7,910 इंजनों का बेड़ा हैं; 42,441 सवारी सेवाधान, 5,822 अन्य कोच यान, 2,22,379 वैगन (31 मार्च 2005 की स्थिति के अनुसार)।[ भारतीय रेल बहुल गेज प्रणाली] है;जिसमें ब्राॅड गेज (1.676 मि मी) मीटर गेज (1.000 मि मी); और नैरो गेज (0.762 मि मी. और 610 मि. मी)है, उनकी पटरियों की लंबाई क्रमश: 89,771 कि.मी; 15,684 कि.मी. और 3,350 कि.मी. है। जबकि गेजवार मार्ग की लंबाई क्रमश: 47,749 कि.मी; 12,662 कि.मी. और 3,054 कि.मी. है। कुल चालू पटरियों की लंबाई 84,260 कि.मी. है जिसमें से 67,932 कि.मी. ब्राॅड गेज, 13,271 कि.मी. मीटर गेज और 3,057 कि.मी. नैरो गेज है। लगभग मार्ग किलो मीटर का 28 प्रतिशत, चालू पटरी 39 प्रतिशत और 40 प्रतिशत कुल पटरियों का विद्युतीकरण किया जा चुका है।
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भारत में रेलों की शुरुआत ;------------------
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[भारत में रेलों की शुरुआत 1853 में अंग्रेजों द्वारा अपनी प्राशासनिक सुविधा के लिये की गयी थी] परंतु आज भारत के ज्यादातर हिस्सों में रेलवे का जाल बिछा हुआ है और रेल, परिवहन का सस्ता और मुख्य साधन बन चुकी है। सन् 1853 में बहुत ही मामूली शुरूआत से जब [पहली अप ट्रेन ने मुंबई से थाणे तक (34 कि.मी. की दूरी) की दूरी तय की थी,] अब भारतीय रेल विशाल नेटवर्क में विकसित हो चुका है इसके 64,640 कि.मी.मार्ग की लंबाई पर 7,133 स्टेशन फैले हुए हैं। उनके पास 7,910 इंजनों का बेड़ा हैं; 42,441 सवारी सेवाधान, 5,822 अन्य कोच यान, 2,22,379 वैगन (31 मार्च 2005 की स्थिति के अनुसार)।[ भारतीय रेल बहुल गेज प्रणाली] है;जिसमें ब्राॅड गेज (1.676 मि मी) मीटर गेज (1.000 मि मी); और नैरो गेज (0.762 मि मी. और 610 मि. मी)है, उनकी पटरियों की लंबाई क्रमश: 89,771 कि.मी; 15,684 कि.मी. और 3,350 कि.मी. है। जबकि गेजवार मार्ग की लंबाई क्रमश: 47,749 कि.मी; 12,662 कि.मी. और 3,054 कि.मी. है। कुल चालू पटरियों की लंबाई 84,260 कि.मी. है जिसमें से 67,932 कि.मी. ब्राॅड गेज, 13,271 कि.मी. मीटर गेज और 3,057 कि.मी. नैरो गेज है। लगभग मार्ग किलो मीटर का 28 प्रतिशत, चालू पटरी 39 प्रतिशत और 40 प्रतिशत कुल पटरियों का विद्युतीकरण किया जा चुका है।