Tuesday, 12 July 2022

मज़दूर दिवस

 

प्रत्येक वह व्यक्ति जो अपने श्रम के बदले मेहनताना लेता है, श्रमिक या मज़दूर कहलाता है । एक ऐसा भी समय था जब मजदूरों का शोषण अपने चरम पर रहा…. उनसे 10 से 16 घंटे अनिवार्य काम लिया जाता था एवं उनकी सुरक्षा का ध्यान भी नहीं रखा जाता था , काम के बोझ और थकान के कारण हादसों में कई कर्मियों को मौत हो जाती थी, फिर मुआवज़े का भी तो कोई प्रावधान भी नहीं था ।


समय समय पर श्रमिक अधिकारों को लेकर आंदोलन होते रहे और माँगें उठती रहीं जिसका परिणाम यह हुआ कि विभिन्न क़ानून श्रमिक अधिकारों की रक्षा के लिए लागू हुए जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण हैं :


कारखाना अधिनियम, 1948, 

औद्योगिक संघर्ष अधिनियम, 1947, 

भारतीय श्रम संघ अधिनियम, 1926, 

मज़दूरी-भुगतान अधिनियम, 1936, 

श्रमजीवी क्षतिपूर्ति अधिनियम, 1923 

कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948, 

कर्मचारी प्रॉविडेण्ट फण्ड अधिनियम, 1952, 

न्यूनतम भृत्ति अधिनियम, 1948, 

कोयला, खान श्रमिक कल्याण कोष अधिनियम, 1947, 

भारतीय गोदी श्रमिक अधिनियम, 1934, 

खदान अधिनियम, 1952 तथा 

मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 इत्यादि…. 


जैसा कि मुझे याद आता है भारत में अभी 128 श्रम तथा औद्योगिक विधान लागू हैं…. बावजूद इसके मज़दूरों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है॥ हाँ तुलनात्मक रूप से उनकी स्थिति में सुधार तो है पर वैसा नहीं जैसा होना चाहिए॥ क़ानून बहुत बन गए अब क्रियान्वयन का वक़्त है , बातें बहुत हो चुकी अब काम का वक़्त है, बहुत कुछ कहा जा चुका बस अमल करना ही बाक़ी है॥