Tuesday 14 June 2016

क्या है एमटीसीआर?

क्या है एमटीसीआर?

Missile Technology Control Regime (MTCR) Ih Hindi

मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम राष्ट्रों के मध्य एक अनौपचारिक राजनीतिक समझ है जो मिसाइल्स और मिसाइल तकनीक के प्रसार को सीमित करने की मंशा रखती है।कब? इसका गठन 1987 में जी-7औद्योगिकीकृत देशों द्वारा किया गया था (कनाडा, फ्रांस, इटली, जर्मनी, जापान, यू.के. और यू.एस.) ।उद्देश्य: एमटीसीआर आपूर्ति तंत्रों का हिस्सा बन सकने योग्य उत्पादों और तकनीकों (मानव संचालित विमानों के अतिरिक्त) के निर्यातों को नियंत्रित कर भारी जनहानि के हथियारों के प्रसार के खतरों को सीमित करने की मंशा रखती है।फोकस: रॉकेट्स और गैर मानवीय हवाई यान जो कम से कम 500 किलो का पेलोड 300 किलोमीटर की रेंज तक ले जाने में सक्षम हैं और ऐसे तंत्रों से संबंधित उपकरणों, सॉफ्टवेयर और तकनीक पर।


एमटीसीआर व्यवस्था के 34 सदस्यों में दुनिया के ज्यादातर प्रमुख मिसाइल निर्माता शामिल हैं। इसकी स्थापना अप्रैल 1987 में हुई थी। इसका मकसद बैलिस्टिक मिसाइलों और अन्य मानव रहित आपूर्ति प्रणालियों के विस्तार को सीमित करना है, जिनका रसायनिक, जैविक और परमाणु हमलों में इस्तेमाल किया जा सकता है। वर्ष 2008 से भारत उन 5 देशों में से एक है, जो एमटीसीआर का पालन कर रहे हैं। एमटीसीआर में एंट्री मिलने के बाद समझा जाता है कि भारत और अमेरिका ड्रोन विमानों की भारतीय सेना के लिए बिक्री के बारे में बातचीत तेज करेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के पहले दिन ही भारत को एक बड़ी सफलता हासिल हुई है। मिसाइल टेक्नॉलजी कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर) के सदस्य भारत को इस ग्रुप में शामिल करने को राजी हो गए हैं।
एमटीसीआर में शामिल होने के बाद भारत को अपनी मिसाइल तकनीक व प्रक्षेपण से जुड़ी हर जानकारी सदस्य देशों को देनी होगी। हालांकि विदेश मंत्रालय के अधिकारी बताते हैं कि इससे देश में अगले चरण के मिसाइल विकास कार्यक्रम पर कोई असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि यह संधि किसी देश पर कोई कानूनी बाध्यता लागू नहीं करती है। लेकिन सदस्य बनने के बाद भारत की जिम्मेदारी बढ़ जाएगी। भारत के लिए दूसरे देशों से मिसाइल तकनीक को हासिल करना आसान हो जाएगा। लेकिन अगर भारत किसी दूसरे देश को ऐसी कोई तकनीक बेचता है या उसका कारोबार करता है तो उसकी पूरी जानकारी अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को देनी होगी।