Saturday 1 August 2015

Origin and structure of the Earth

पृथ्वी की उत्पत्ति और संरचनाएँ

पृथ्वी के 40 % हिस्से में दुनिया के सिर्फ छ: देश है।
पृथ्वी के सारे मनुष्य 1 वर्ग किलोमीटर के घन(cube) में समा सकते है. यदि हम एक वर्ग मीटर में एक व्यकित्त को खड़ा करे तो एक वर्ग किलोमीटर में दस लाख व्यकित्त खड़े हो सकते हैं।
चीन का वायु प्रदूषण इतना ज्यादा है कि स्पेस से देखने पर द ग्रेट वाल ऑफ चाइना भी दिखाई नहीं दी।
पृथ्वी के स्लो रोटेशन की वजह से 2015 एक सेकंड लंबा होगा।
अगर मनुष्य को बिना किसी सुरक्षा उपाय के स्पेस में छोड़ दिया जाए तो वह केवल 2:00 मिनट तक ही जीवित रहेगा।
पृथ्वी पर एक बार सबसे विशाल उल्कापिंड गिरा था। इसका नाम होबा मीटिऑराइट रखा गया था।
पृथ्वी के केंद्र में इतना सोना है, जो 1.5 फीट की गहराई तक इसकी पूरी सतह को ढंक सकता है।
12 मील (19 किमी) की ऊंचाई पर प्रेशराइज्ड सूट पहनना जरूरी होता है। वरना मौत हो सकती है।
पृथ्वी पर 1 सेकेंड में 100 बार और हर दिन 80.6 लाख बार आकाशीय बिजली गिरती है।
धरती पर ताप का स्त्रोत केवल सुर्य नही है. बल्कि धरती का अंदरूनी भाग पिघले हुए पदार्थों से बना है जो लगातार धरती के अंदरूनी ताप स्थिर रखता है. एक अनुमान के अनुसार इस अंदरूनी भाग का तापमान 5000 से 7000 डिगरी सैलसीयस है जो कि सुर्य की सतह के तापमान के बराबर है.
अंतरिक्ष में मौजूद कचरे का एक टुकड़ा हर दिन पृथ्वी पर गिरता है। यह अनुमान नासा के वैज्ञानिकों ने लगाया है।
क्या आप जानते है कि धरती के सारे महाद्वीप आज से 6.5 करोड़ साल पहले एक दूसरे से जुडे हुए थे. वैज्ञानिको का मानना है कि धरती पर कोई उल्का पिंड गिरने जा फिर निरंतर ज्वालामुखियों और ताकतवर भुकंपों के कारण यह महाद्वीप आपस से अलग होने लगे, इसी कारण धरती से डायनासोरो का अंत हुआ था. पहले जब सभी महाद्वीप जुड़े हुए थे तो नीचे दिए चित्र की तरह दिखते थे और इसे वैज्ञानको ने 'पैंजीया' नाम दिया है.
धरती पर हर रोज 45,00 बादल(मेघ) गरजते है.
धरती पर मौजुद हर प्राणी में कार्बन जरूर है.
धरती के गुरूत्वाकर्षण के कारण पर्वतों का 15,000 मीटर से ऊँचा होना संभव नही है.
आज से 450 करोड़ साल पहले, सुर्य मंडल में मंगल के आकार का एक ग्रह था जो कि पृथ्वी के साथ एक ही ग्रहपथ पर सुर्य की परिक्रमा करता था. मगर यह ग्रह किसी कारण धरती से टकराया और एक तो धरती मुड गई और दूसरा इस टक्कर के फलसरूप जो पृथ्वी का हिस्सा अलग हुआ उससे चाँद बन गया.
सौर मंडल में पृथ्वी ही एक ऐसी जगह है, जहां पानी सॉलिड, लिक्विड, वेपर रूप में मौजूद है।
पृथ्वी का 97 फीसदी पानी खारा है और फ्रेश पानी मात्र 3 प्रतिशत ही है। 90 फीसदी विश्व का कचरा समुद्रों में पहुंचता है।
आज भी दुनिया की 748 मिलियन आबादी को पीने के लिए भी साफ पानी नसीब नहीं होता है। लगातार इस्तेमाल होने वाले टॉयलेट में रोज औसतन 200 गैलन पानी का बर्बाद होता है। लीकेज के चलते रोजाना 36 मिलियन गैलन पानी बर्बाद होता है।
दुनिया में 40% मौतें पानी, हवा और मिट्टी के प्रदूषण से होती हैं। सिर्फ एयर पॉल्यूशन से हर साल 70 लाख लोगों की मौत हो रही है।
दुनिया में रोजाना 1 अरब लोगों को पीने लायक पानी नहीं मिल रहा, जबकि 2 अरब लोग साफ पानी को तरस रहे हैं। 2050 तक करीब 09 अरब लोग बिना पानी या कम पानी में गुजारा कर रहे होंगे। 2025 तक भारत के करीब 60% भूजल स्रोत पूरी तरह सूख चुके होंगे।
समुद्र के एक लीटर पानी के 13 बिलियन हिस्से में एक ग्राम सोना मिला रहता है।
पृथ्वी पर 99 फीसदी जीवित प्राणी महासागरों में से हैं 2000 जलीय जीवों की प्रजातियों के बारे में हर साल बताया जाता है।
प्रतिवर्ष 10-12 दुघर्टनाओं का कारण शार्क होती हैं। हर साल 100 मिलियन शार्क मारी जाती हैं।
यदि पृथ्वी का पूरा जल इकट्ठा किया जाए, तो यह 860 घन किमी के आकार की बॉल बनेगी। यह शनि के बर्फीले चांद टेथी के आकार से अधिक होगी।
3.7 बिलियन मील की दूरी से लिया गया पृथ्वी के फोटो का नाम 'पेल ब्ल्यू डॉट' है। अभी तक यह सबसे अधिक दूरी से ली गई धरती की तस्वीर है।
150 बिलियन डॉलर कुल लागत है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की। यह सबसे अधिक खर्चीला प्रोजेक्ट है, जिस पर सबसे ज्यादा राशि खर्च हुई।
106 बिलियन लोग पृथ्वी पर हैं। आगामी वर्ष 2050 में 9.2 बिलियन लोगों की संख्या बढ़ जाएगी।
200,000 लोग पृथ्वी पर हर दिन जन्म लेते हैं।हर सेकंड में दो लोगों की मौत हो रही है।
इंसान द्वारा सबसे पुराना धार्मिक स्थल गोबेकली टेप तुर्की में स्थित है। इसका निर्माण 10,000 वर्ष ईसा पूर्व किया गया था।
मनुष्य के द्वारा सबसे ज्यादा गहराई तक खोदा जाने वाला गड्ढा 1989 में रूस में खोदा गया था जिसकी गहराई 12.262 किलोमीटर थी.
1953 में जब नेशनल हरीकेन सेंटर की शुरुआत हुई तो उसने सबसे पहले तूफान को जो नाम दिया, वह स्त्री संत का नाम था। 1